पराली न जलाने के लिए लोगों को जागृत करते कृषि विभाग के अधिकारी।
Hisar Today
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जिला के विभिन्न गांवों में धान की पराली न जलाने बारे किसानो को जागरुक करने के लिए किसान प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। आगामी 15 अक्तूबर तक इन जागरुकता शिविरों का आयोजन जिला के सभी धान की खेती करने वाले गांवों में किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक डॉक्टर बाबूलाल ने बताया कि आज विभाग की टीमों द्वारा जिला के गांव कोटली, रोड़ी, बुजभंगु, चामल, नानुआना, धिंगतानियां, तख्तमल, चौरमार खेड़ा, दड़बी आदि गांवों का दौरा कर किसानों को धान की पराली न जलाने बारे प्रेरित किया गया। उन्होंने बताया कि इन जागरुकता शिविरों में विभिन्न तरीकों से धान की पराली को खेत की मिट्टी में मिलाकर खाद के रुप में प्रयोग करने के तरीकों के बारे में बताया जाता है।
उन्होंने कहा कि इन जागरुकता शिविरों का उद्देश्य मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अच्छी बनी रहे और फसल उत्पादन लागत में कमी लाना है। उन्होंने कहा कि फसल उत्पादन लागत में कमी आने पर किसानों की आय बढेगी इस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानो की आय 2022 तक दोगुणी करने का लक्ष्य प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 सपठित वायु एंव प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दण्डनीय अपराध भी है।
डा. बाबू लाल ने बताया कि किसानों को इन जागरुकता शिविरों में धान की पराली जलाने पर होने वाले नुकसान तथा पराली न जलाने पर होने वाले फायदों के बारे में पूर्ण जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि विभाग द्वारा कृषि यंत्रों पर दिये जा रहे अनुदान व अन्य योजनाओं की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा धान वाले गांवों में 15 अक्तूबर 2018 तक किसान जागरुकता शिविर आयोजित कर लोगों को जागरुक किया जाऐगा ताकि कोई भी किसान अपने खेत में धान की पराली न जलाकर उसका उचित प्रबंधन करें।