भाई सभी कहते हैं कि चुनाव लड़ना और जितना किसी जंग से कम नहीं। हर दांव-पेंच में महारथी ही चुनाव में न केवल जीत सकता है बल्कि छक्के छुड़ा सकता है। मगर हरियाणा में लगता है नौसिखिये कार्यकर्ता और नेताओं का ऐसा जन्म हुआ है कि उनको यह भी नहीं पता कि जिस सब्जेक्ट की परीक्षा देने जा रहे हो, तो उसके लिए पढ़ाई करना जरुरी है।
कोई वहां चीटिंग करवाकर पास नहीं करवाएगा और अगर आपको चीटिंग की आदत है तो फिर कुछ कहना ही व्यर्थ है। मैं यहां बात कर रहा हूं नौसिखिये नेता राजकुमार सैनी की। कुरुक्षेत्र में भाजपा की टिकट से वह सांसद का चुनाव जीत कर आये थे।
मगर 5 साल का जनता उनको रिजल्ट देती वह पहले ही वह कक्षा छोड़ कर दूसरे डिवीजन में दाखिला लेने चले गए। क्योंकि महाशय जी को 5 साल हिसाब तो नहीं देना होगा न ? 5 साल में राजकुमार सैनी ने कुरुक्षेत्र की जनता के लिए क्या किया यह उन्हें बताने की नौबत नहीं आये इसलिए उन्होंने कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ने के फैसले को ही ब्रेक लगा दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह बड़ी-बड़ी दहाड़ मार रहे थे कि इस बार किसी भी हाल में हुड्डा को वो छोड़ेंगे नहीं। उन्होंने कहा था कि जहां से हुड्डा चुनाव में उतरेंगे, वहीं से वह चुनाव में उतरेंगे। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ हुंकार भरने वाले सांसद राजकुमार सैनी को जब पता चला कि हुड्डा सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं, वह पहुंच गए अपना नामांकन परचा दाखिल करवाने।
मगर आपको जानकार ताज्जुब होगा कि जो लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का राजकुमार सैनी ने गठन किया, जो मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं, जो अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव में उतार रहे हैं, आज उन्ही नौसिखिये नेता सैनी जब अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे, तो कागज पूरे नहीं थे। इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी कि कागजात पूरा न होने के कारण उनका नामांकन दर्ज नहीं हो सका। वह घंटो इंतजार करते रहे और वापिस लौट आये। इन्हे कहते हंै राजनीति का कच्चा खिलाड़ी।
वैसे जानकार यह आरोप लगा रहे हैं कि राजकुमार सैनी जान-बुझ कर कागज पूरे लेकर नहीं आए। दरअसल, भूपेंद्र हुड्डा द्वारा नामांकन भरने से कुछ देर पहले ही सूचना मिली कि लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी प्रमुख राजकुमार सैनी भी सोनीपत से मैदान में कूदेंगे। दोपहर तक हां-ना के बीच सैनी नामांकन के लिए पहुंच भी गए, लेकिन ऐन वक्त पर सैनी ने नामांकन ही प्रस्तुत नहीं किया और वे नामांकन कार्यालय से बाहर आ गए।
ऐसे में सैनी को बिना नामांकन भरे ही वापस लौटना पड़ा। नामांकन का समय खत्म होने से ठीक 15 मिनट पहले 2 बजकर 45 मिनट पर राजकुमार सैनी लघु सचिवालय पहुंचे। ठीक 5 मिनट पहले नामांकन कार्यालय में प्रवेश किया। नामांकन फाइल में 2 कागजों की कमी रह गई थी, जिन्हें पूरा नहीं किया गया।
सांसद राजकुमार सैनी का कहना है कि उन्हें जब पता चला कि भूपेंद्र हुड्डा सोनीपत से नामांकन भर रहे हैं, तो उन्होंने हुड्डा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने का मन बनाया था, लेकिन कागजात पूरे नहीं हो पाए। सवाल यह उठ खड़ा होता है कि हुड्डा के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला तो उन्होंने बहुत पहले ले लिया था, तो यह बहानेबाजी करके वह क्या साबित करना चाहते थे और क्या यह बात किसी के गले भी नहीं उतरेगी की जल्दबाजी में कागज पुरे नहीं थे।
यह तो थे सैनी साहब अब बात जजपा के छात्र संघ के तेजतर्रार नेता और सांसद दुष्यंत चौटाला के करीबी प्रदीप देशवाल की। जजपा ने उन्हें रोहतक से टिकट दी। प्रदीप देशवाल के नामकरण भरने के लिए 10 बजे का समय दिया गया था। जजपा सुप्रीमो अजय चौटाला समय पर पहुंचे और तकरीबन डेढ़ घंटे तक रोहतक के निर्वाचन कार्यालय में गठबंधन प्रत्याशी प्रदीप देशवाल के इंतजार में बैठे रहे।
जब देशवाल नहीं पहुंचे तो अजय चौटाला ने फोन कर नाराजगी जताई और कहा कि मुझे 10 बजे बुला लिया और खुद नामाकंन करने समय पर नहीं पहुंचे, यह ठीक बात नहीं है। जब अजय चौटाला नाराज होकर चल पड़े तो उसी दौरान देशवाल भी पहुंच गए, लेकिन अजय चौटाला नहीं रूके और वह कार में बैठकर निकल गए। यह हाल है प्रदीप देशवाल का।
जो अपने जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं, राजनीति में आने के पहले ही वह पार्टी सुप्रीमो को रुकवा रहे हैं, वो आगे क्या करेंगे। यह एक सबक है कि ये आजकल के So Called नेता अपने प्रति जिम्मेदारी को पहचाने और ड्रामेबाजी कम करे। क्योंकि जनता बेवकूफ नहीं है। यह हाल है हमारे नौसिखिये नेताओं का।